हर मोड़ पर साथ मिला अपनो का
हर बाजी जीतने की कॉसिश की उसने
हार काफिलों में दबी सहमी आती रही
जीत की लालसा ना छोड़ी उसने
नाम करना चाहता था हर पल अपनो के
सिकस्त ऐसी मिली की जीत की चाह ना की उसने
उसकी डायरी के कुछ पन्नो की बात है
ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कुछ अधूरा सा है उनमें
कहीं स्याही बदलने की कोसिश तो कहीं अल्फाज़ों की झुंझलाहट
कुछ अजीब सा दर्द खाए जा रहा था
फिर भी मुस्कुराहतों के नाम पर जीने की कॉसिश की उसने
लतीफ़े कहीं तो कहीं रुके हुए आँसू
ख़यालों का हर दो कदम पर मुजाहिर हो जाना
कोई मकसद ढूँढ रहा था शायद
इसलिए ज़िंदगी से दोस्ती कर ली उसने
हर बाजी जीतने की कॉसिश की उसने
हार काफिलों में दबी सहमी आती रही
जीत की लालसा ना छोड़ी उसने
नाम करना चाहता था हर पल अपनो के
सिकस्त ऐसी मिली की जीत की चाह ना की उसने
उसकी डायरी के कुछ पन्नो की बात है
ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो कुछ अधूरा सा है उनमें
कहीं स्याही बदलने की कोसिश तो कहीं अल्फाज़ों की झुंझलाहट
कुछ अजीब सा दर्द खाए जा रहा था
फिर भी मुस्कुराहतों के नाम पर जीने की कॉसिश की उसने
लतीफ़े कहीं तो कहीं रुके हुए आँसू
ख़यालों का हर दो कदम पर मुजाहिर हो जाना
कोई मकसद ढूँढ रहा था शायद
इसलिए ज़िंदगी से दोस्ती कर ली उसने
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