Tuesday, March 15, 2011

मोहब्बत बता नादाँ कौन है

तेरे कदमों की आहत और वो मेरा पलट कर देखना
तेरा ज़ुल्फोन को काँधे से हटाकर वो मुस्कुरा देना
तेरे मृग-नैनों के काजल से यूँ मेरा कत्ल सा होना
मोहब्बत?बता नादान कौन है
तेरी एक झलक के लिए वो वक़्त का ठहर सा जाना
तेरा दीदार होते ही वो धड़कानों का सहम सा जाना
तेरी खुशहू और वो बसंत का आना
मोहब्बत?बता नादान कौन है
तेरी पायल की चनछन से वो मॅन का मुगद हो जाना
तेरे गीतों की कल कल से वो हवा का रुख़ बदल जाना
तेरे घूँघट उठाते ही वो कायर चाँद का बादलों में चिप जाना
मोहब्बत?बता नादान कौन है
तेरे ख़यालों से वो मेरी रातों की नीड का उड़ना
तेरी परछाई को अपनी समझकर मेरा भ्रमित सा होना
मेरे हर गीत की बुनियाद में तेरे नाम का होना
मोहब्बत?बता नादान कौन है