यह कुछ शेर उन लोगों के लिए जो आशिक़ है या आशिक़ी में धोखा खाए हुए है
मेरा मॅन भी कायल है इन्ही मदहोश आँखों का
लूट गये ही सबके सब
मगर बाकी अभी हम है
तेरी जुल्फो के साए में यूँ डूब जाए हम
की जैसे ग्रहित सूरज का बाकी निशान ना हो
काई आशिक़ है यहाँ कितनो का दिल टूटा होगा
ज़िंदगी के दो रहे पर किसी से किसी का साथ तो छूटा होगा
ज़ालिम ज़माने को मत कह इसने क्या ना दिया तुझको
ज़ालिम तो वो आँखें है जो खड़ी देख रही बर्बाद होते तुझको
गम इतना मिला की आँखों में आसून ना रहे
कॉसिश बहुत की पर दिल को रोने से ना रोक सके
यह पंक्तियाँ उनके लिए जो किसी भी बात को लेकर निराश हो जाते है
"जब खवाब ही संजोए थे मिट्टी क पुतलों के
तो बारिश तो एक दिन होनी ही थी"