Wednesday, September 29, 2010

मालूम ना था !!!!

पंख लगाकर कोशिश थी उड़ने की
मालूम नही था आसमान भी बहुत तंग है
चाह थी अंगरों पे चलने की
मालूम नही था पावं अभी बहुत नर्म है
सपना था सूरज से आँख मिलाने का
मालूम नही था आँखों में रोशिनी बहुत कम है
सोचा था कल की तस्वीर बदलूँगा
मालूम नही था आज में रंग इतना कम है
सपना था समंदर में डूबकी लगाने का
मालूम नही था पानी इतना कम है
सोचा था बहुत कुछ करूँगा
मालूम ना था कुछ भी बहुत कम है

2 comments:

  1. Zabardast ! Maza aa gaya...pehla 2 line class hai... :)

    Keep going be..heera hai heera :P

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  2. maalik ne itni badai ki toh accha hi hoga ;)

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