बंद खिड़की और दूर इक झील
कोसिश,उसकी गहराई नापने की
हस रहा हून अपनी कल्पना और असमर्थता पर
बाँध रहा हून मुट्ठी में रेत
हर तिनके को कोसिश पकड़ने की
हसी आ रही है खुद की जिद पर
अमावस की घनघोर काली रात
कोसिश,रौशनी की एक किरण से अंधेरा मिटाने की
हस रहा हून अपनी अनंत इक्षाओं पर
गगनचूम्बी इमारत की छत
कोसिश,आसमान को छूने की
हस रहा हून अपनी बेकार हुई मेहनत पर
उँची उठती हुई समुंद्र की लहरें
कोसिश,उनपर चलने की
हस रहा हून अपने मॅन की चंचलता पर
डूबता हुआ सूरज
कोसिश,उसके रंग को समेटने की
हसी आ रही है अपनी मानसिक सनकीड़ता पर
एकांत वन में भागिया वस्त्र धारण किए
कोसिश,मोक्ष प्राप्त करने की
हस रहा हून अपने म्नुष्या होने पर
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