मेरी मोहब्बत को इतना कमजोर ना समझ
मेरे जसबातों को इतना खोखला ना समझ
लड़ कर भी तूफ़ानो से निकाला है इस कास्ती को
प्यार के नाम पर इसे मेहरबानी ना समझ
तेरे चले जाने से मंज़र जो तूफान का उठा
उसको इस डूबते हुए का किनारा ना समझ
तेरी आँखों में माना नशा बहुत था
पर उनसे ना पी पाने को मेरी कमज़ोरी ना समझ
पत्थर बन गयी है मेरी आँखें
अब इनसे गिरने वाले आँसुओं को मोती ना समझ
मेरी बेबाक मोहब्बत को मेरी बेवफाई का नाम देकर
कम से कम इस आशिक़ को बेवफा ना समझ
sounds gud....kiske liye hai ye bhi bata dete !!!
ReplyDeleteKasam! Class hai...diya hai !
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