Sunday, March 21, 2010

ज़िंदगी के किस मोड़ पर खड़े है

आज जीवन के उस मोड़ पर खड़े है
हर आस को छोढ़ कर खड़े है
ना हम अपनो से लड़ पाए ना दूसरों से
सफलता की होड़ में सब छोढ़ कर खड़े है

कितने हुए सफल यह जानते है हम
सफलता के सारे बंधानो को तोड़ कर खड़े है
शब्दों के इस जाल से सच्चाई चुप नही सकती
इसलिए इनसे सच्चाई को जोड़ने चले है

क्या कब हुआ यह सोच ना पाए हम
हाल यह है की अब ज़िंदगी से रिश्ता तोड़ कर खड़े है
जो खुद के सपनो को सच ना कर पाए
उस कायर की भाँति
हम अपने सपनो को तोड़ कर खड़े है
ज़रा देखिए तो हम किस मोड़ पर खड़े है

19 comments:

  1. nice one ... i thot u prefer diary thn blog wat happened suddenly

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  2. first recorded proof of the literary skills of Kau-wa...
    watch out pulkit ;)

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  3. i dont think pulkit needs to be afraid of me or smething ...Mr.sahoo u need to expand ur knowledge abt literary skills and i m sure u will know the difference between the two :P

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  4. abey pedhe....tu kab se poet ho gaya??

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  5. finally poet is out :)
    nice one...i think i have read this one...am i right??

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  6. कविता अच्छी लगी धन्यवाद|

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  7. बहुत ही सुन्दर ।

    http://www.brainburden.blogspot.com/

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  8. छंद में कविता लिखना कठिन है। बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है...थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी...अन्यथा न लें...

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  9. "शब्दों के इस जाल से सच्चाई चुप नही सकती
    इसलिए इनसे सच्चाई को जोड़ने चले है"

    सच्चे और अच्छे विचार - सार्थक प्रयास - हार्दिक शुभकामनाएं

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  10. हमारे एगरीगेटर पर आपका ब्लाग जोड़ने के लिए धन्यवाद
    आपके ब्लाग को सफलता पूर्वक जोड़ दिया गया है। अब आप इस एगरीकेटर के लोगों को अपने ब्लाग पर लगा सकते है। जिसे आपकी पोस्ट तुरंत छप सके और आप ज्यादा से ज्यादा लोगों के ब्लाग पर टिप्पणियां देने की
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    मालीगांव
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  11. क्या कब हुआ यह सोच ना पाए हम wah!

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  12. बहुत खूब्! बढिया रचना....

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  13. यथार्थ को बयाँ करती एक बेहतरीन रचना|
    ब्रह्माण्ड

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  14. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  15. हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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